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गन्जाम जिले का रहस्य


                    पिछले अध्याय में आपने पढ़ा की कैसे माता का नाम आकर्षिणी देवी कैसे पड़ा और माता के आकर्षण शक्ति से परिचित हुए |
इस अध्याय में आज गन्जाम जिले के बारे में जानेंगे | 
गन्जाम जिला ओडिशा राज्य का एक जिला है | सन 1996 की बात है जब झारखंड राज्य बिहार से अलग नही हुआ था | ये कहानी कुछ ऐसे भक्तो की है जो आपनी समस्याओं के निवारण लिए वे घर से निकल पड़े  21 दिन रहे, फिर दूसरे मंदिर पर गये | वहां 31 दिन रहे, फिर तीसरे बार अन्य मंदिर में 25 दिन रहे | ऐसा करते करते ग्राम स्थान, जाहिरा स्थान , नदी स्थान ,पहाडी स्थान पर गिरते गिरते अन्ततः आकर्षिणी माँ की छोटी बहन टाकुरानी पर अपना स्थान बनाया जो कि नदी के उपर अवस्थित है। 


                     आषाढ महीना का समय था जब ठाकुरानी माँ ने भक्तों को सपने में कहा कि मैं विदा ले रही हूँ। मेरी बड़ी बहन माँ आकर्षणी के पास जाओ। आपको आखरी वरदान मिल जायेगा। जैसे ही मॉं नदी पार की ,वैसे ही कुछ चमत्कार सा हुआ | सभी भक्त गजाम जिला से बिहार(वर्तमान में झारखंड ) के किसी जिला में आ पहुंचा, उन्हें मालुम ही नहीं पड़ा। माँ ठाकरानी से जुदा होने के बाद वे माहली मोरूप स्टेशन (झारखंड - सराइकेला खरसवा )आ पहुंचे और लोगों से पूछने लगे कि मॉं आकर्षीणी देवी कहां पर अवस्थित है। उसी समय उस गांव के उपर टोला के कालिदी लोग जो कि चक्रधरपुर (झारखंड ) टोरी बेचने गये थे, उसी ट्रेन से उतरे थे। उनलोगो ने जैसे ही सुना , उन भक्तो से कहा - चलये आपलोगों को पुजारी जी का घर दिखा देंगे। भक्तों की मुलाकात पुजारी अगस्ती जी से हुई बातचित भी हुई और उसके बाद भक्तो ने स्नान किया और पुजारी के साथ माता के दर्शन के लिए पहाड़ की ओर निकल पड़े । माँ की स्थान पर बिना खाये पिये 31 दिनो तक  पड़े रहे । पुजारी पूजा समाप्त होने के बाद जो चरण पानी देते थे उसी को पीकर जीवित रहे । माँ भक्तों की सच्चे दिल से पुकार सुनके उसको आखरी वरदान देकर विदाई कर दी | उसके बाद माँ के स्थल से नीचे ली जामे लगे इस दौरा उन्हें समय का पता ही नहीं चला लेकिन जैसे ही केनाल रास्ता पर पैर रखे वैसे ही और नही चल सके। अन्ततः माँ भक्तो की आराधना सुन ली ।


माँ का मंदिर
- सात दरवाजे के आन्दर में माँ विराजमान है।लेकिन वहाँ तक पहुंचना इतना सरल नही है अर्थात वहाँ तक पहुंचाने के लिए 1-2 महिना से आरवा चावल के भात खा के आरधना में रहना पढ़ता है  और जब माँ को आभास होगा कि है माँ मैं आपके चरण के पास जाना चाहता हूँ, मुझे आपके पास बुला लीजिए। माँ अगर आपकी पुकार में सन्तुष्टि हो गई तो कभी भी किसी भी समय रात या दिन में बुला लेगी।

माँ की मंदिर सोने की है । इसी कारण अंग्रेज लोग तोड़ फोड़ कर सोना निकालने की कोशिश किये थे। लेकिन असफल हो गये। जहाँ पूजा अर्चना किया जाता है। उसके ऊपर जिस तरह पत्थर रखा हुआ है  देखने में लगता नही है कि सोना है | मंदिर को पत्थर के रूप में रखा बनाया गया है क्योंकि अगर सोना का रूप दिखाई देने से लोग चोरी करने लगेगे। इसलिए पत्थर से रखा हुआ है।
समाप्त 
अगले अध्याय में पढ़े
माता के चमत्कार!https://ckplive.blogspot.com/2018/09/blog-post_63.html?m=1

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