Random Posts

माँ आकर्षिणी देवी - परिचय


                         श्री श्री माँ आकर्षिणी देवी जिन्हें वन दुर्गा देवी के नाम से भी जाना जाता है ,चिलकु,खरसवॉं (जिला : सरायकेला- खरसवाॉं),झारखंड में स्थित है |नजदिक रेलवे स्टेशन - ऱाजखरसवां , महालीमरूप , यहाँ से आप सवारी गाडी से  ओटो बुक करके जा सकते हैं किन्तुु सकारी गाडी आपको  मन्दिर प्रान्गड़ तक नहीं ले जाइगी इसिलिए आप आपनी खुद की गाड़ी से जाये अन्यथा रेलवे स्टेशन से गाडी बुक कर सकते हैं |
                    आइये इस देवी के बारे जानने की कोशिश करते हैं - वन देवी से स्पष्ट है की आकर्षिणी  देवी मां को प्रकृति देवी भी कहा जाता है |


Van durga
वीडियो देखें मन्दिर की 

मंदिर परिशर पर उपस्थित लोगों से मिली जानकारी के अनुसार " ब्रिटीश सरकार के समय अंग्रेज लोग हर क्षेत्र को मशीन द्वारा सर्वे करते थे उसी समय पता चला की यहां सोने का भंडार है। लेकिन अंग्रेज लोगों को मालूम नहीं था कि यहां देवी उपस्थित या विराजमान है |वे सोना को निकालने के लिए बम लाकर पत्थर को तोड़ने लगे, चार या पांच बम ब्लास्ट हुआ उसके बाद माँ ने क्रोधित होकर अपना आकर्षण शक्ति के द्वारा उन लाेगाे पर प्रहार करने लगी। जिससे उनलोगों को अचानक खून की उल्टीयां हाेनी शुरू हो गई और माँ के अपने दूत (वाहन) निकल पड़े और वे लोगों को आक्रमण कर उन्हें घायल कर दिया। बाद में वे लोग स्थान छोड़ कर भाग गये |" 
आगे पढ़े

ये तो थी स्थानिय लोगों के अनुसार परन्तु इस पर कुछ ख्याती भी है |
                   क्या है वो ख्याति यहाँ पढ़े ?
ख्याति :- उसी रात को खरसावाँ गढ़ के राजा को खबर हुआ कि तुम मंगलू भूमिज (स्वर्गीय) को मेरी( माँ आकर्षीणी) के नाम पर पूजा-अर्चना करने बोलो राजा ने मंगलू भूमिज को बुला कर कहा कि तुम कल से माँ की पूजा-अर्चना करो उसने राजा को कहा कि मैं तो माँ के बारे में कुछ नहीं जानता हूँ। ठीक है मैं एक रात का समय ले रहा हूँ। मैं माँ को अरदास करूंगा। उसी रात को माँ ने आदेश दिया कि मंगलू भूमिज तुम मेरी पूजा शुरु करो और राजा को कहो कि हर गाँव, शहर में मेरा नाम प्रचार करें।
माँ की आकर्षण शक्ति :- साल 2011 के माघ महीना के दुसरे सोमवार रात 9:30 बजे ऐसी महिला भत्ति को खींच कर लाई थी जो कि उनके घर-परिवार के लोगों ने उसके पीछे-पीछे दौड़ते आये। उनके घरवालों ने पुजारी जी के घर पहुंचे और सारी समस्याएं बतायें और कहने लगे कि चलिये पुजारी जी मेरी बहन को घर लौटा दीजिये। पुजारी जी पहाड़ के नीचे आये और उसी समय भक्त पहुंची नहीं थी। जैसे दौड़ते हुए आई और माँ की सीढ़ी पर पाँव रखी झुपने लगी और रोने लगी पुजारी को देखते ही पता चला की माँ ने भक्त की आराधना एवं गुहारी सुनकर माँ अपने आकर्षण शक्ति से खींच लाई और वरदान दी।
मॉं आकर्षिणी नाम क्यों पड़ा जिन श्रद्धालुओं की सच्चाई, दिल, भाव से प्रत्येक दिन पूजा - अर्चना करते हैं। वैसे भक्तों को माँ अपने आकर्षण शक्ति द्वारा अपना चरण की ओर खींच जाती है और भक्तों की मन्नत वरदान देकर भेज देती है। इसलिए माँ का नाम आकषणी देवी पड़ा।
धन्यावाद

अगले अध्याय मॆ पढ़े 
गन्जाम जिले का रहस्य!   


Post a Comment

0 Comments