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सबकी मनोकामना पुर्ण करती - आकर्षिणी देवी

अगर आपने पिछ्ला अध्याय नही पढ़ा है तो अभी पढ़े |

                             वर्ष 2013 की बात है रेंगो गोड़ा नामक गाँव के एक आदिवासी औरत लंबे समय से बीमार थी | उसके घरवालो ने सभी डॉक्टरो को सिखाया किन्तु उसकी बीमारी का कुछ पता नहीं चल पाया,पूजा -पाठ झाड़ - फूक सब किया गाया परन्तु कोई समाधान नहीं निकला और उस औरत की स्थिति और बिगड़ते गई और मृत्यु के कगार पर पहुच गई जिससे उसकी मानसिक संतुलन भी खो गयी | उसके बाद वह 'पागलो की तरह यहाँ वहां चारों तरफ जाने लगी | इसकी इस स्थिति के कारण उसके परिवार ने भी उसका ध्यान रखना छोड़ दिया | उसे अपने पहने हुये कपडे भी शरीर में ठीक तरह से नही सम्भाल पाती थी|
कहते हैं ना कि भगवान सब देखता है और उस औरत के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ | माँ उस औरत की दुःख समस्या को देखकर उसे अपने पहाड़ी स्थान पर आने के लिए विवश कर दी और 25 दिन तक वह औरत माँ के स्थान पर रही । दिन-रात माँ के दरवाजे पर रहती थी । औरत की दु :ख देख माँ ने उसे होश में लाया |
उसके बाद वह अपने आप कहने लगी कि उसके पति और मेरे तीन बच्चे कैसे है? मुझे घर जाने का मन कर रहा है। 21 दिन रहने के बाद वह बीमार पागली औरत  माँ का शृंगार और एक कला बोदा पूजा कर और उसके खून को पीकर पूर्णिमा की रात को वहाँ से चली गई और माँ की कृपा से अब वह आपकी तरह अपने परिवार के साथ कुशल मंगल है।

                            वहाँ के स्थानीय लोगो के अनुसार वर्ष 2013 में मुन्नत के लिए आई एक ऐसी भक्त जो कि  75 साल की बुढ़िया थी,  एक लकड़ी डन्डे के सहारे पहाड़ पर चढी और उतरीे, उसके परिवार के रहते हुए भी अपने सहारे ही माँ की स्थान पर पहुंची और नीचे आई | ये माँ की आकर्षण शक्ति का ही परिणाम था कि एक ऐसे भक्तों को माँ ने अपने शक्ति द्वारा 75 साल की बुढिया पहाड़ चढ़ी और उतरी, किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ीे।शायद ये सत्य ही है कि भक्तों को माँ की बुलावा रहता है  जो कि हमलोग जान नहीं पाते हैं।
समाप्त!

आगले अध्याय में पढ़े घमंड का नतिजा! 

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